तुम्हें स्वेटर बुनना नहीं आता था पर तुमने बुनना सीखा था मेरे लिए....हां मेरे लिए....भले वो हाफ था पर पूरी बाजू वाली स्वेटर की तरह गर्मी देता है...अब जब तुम साथ नहीं हो और वो स्वेटर भी छोटा हो गया है पर उसकी गर्मी बढ़ गयी है...अब ज्यादा देर उसे पहन नहीं पाता हूं पता नहीं इस बार हॉट विंटर है या फिर यादें...
हे कनि लग आबि जाऊ ने, लहेरियासराय सं शुभंकरपुर अबैत-अबैत धौझन भ' जाइत अछि..
अहां के एतबो दूर आयल पार नहि लगैत अछि...कहि त काल्हि सं हम आबि जाए....छोड़ू इ गप्प के...सुनलिये जे दरभंगा में 14 जनवरी सं सिटी बस चलतै..तखन हम एकरा दरभंगाक मेट्रो बुझी घुमैत रहब..की दरभंगा में सिटी बस चलला सं दरभंगा में शहरियत बढ़तै ?
हाहाहा....ठीक तहिना बढ़ते जेना किनको पाइ भेला पर इंसानियत बढ़ी जाइत अछि..
इ लिय' अहांक बिन पानि वाली बागमती आबि गेल, जौं कतौ पानि देखा रहल अछि त' ओ पानि नहि प्रदूषण छै
ओ हमरा बागमती देखाबैत रहती आ हम हुनका देखैत रहतौ..